महाशक्ति माँ विन्ध्यवासिनी धाम से करीब 8 कि.मी0 दूर दक्षिण दिशा में देवरहा बाबा का आश्रम भक्तो के लिये आस्था के केन्द्र है देश के कोने कोने से आने वाले भक्त माता के धाम मे शीश नवाने के साथ ही गुरु के चरणों का रज प्राप्त अपने आप को धन्य मानते है विन्ध्य पर्वत पर बने आश्रम में भक्तों के लिये ठहरने की उत्तम व्यवस्था ह।
विभिन्न स्त्रोतों से पता चलता है कि बाबा देवरहा 19 मई, 1990 में चल बसे। लेकिन बाबा का जन्म कब हुआ, कहां हुआ? इस बारे में किसी को कुछ पता नहीं है। बाबा मथुरा में यमुना के किनारे रहा करते थे। यमुना किनारे लकडिय़ों की बनी एक मचान उनका स्थाई बैठक स्थान था। बाबा इसी मचान पर बैठकर ध्यान, योग किया करते थे। भक्तों को दर्शन और उनसे संवाद भी यहीं से होता था। कहा जाता है कि जिस भक्त के सिर पर बाबा ने मचान से अपने पैर रख दिए, उसके वारे-न्यारे हो जाते थे। उन्होंने कभी अन्न नहीं खाया, बाबा केवल यमुना नदी का पानी पीते थे।
देवरहा बाबा ने जीवनभर अन्न ग्रहण नहीं किया। वे यमुना का पानी पीते थे अथवा दूध, शहद और श्रीफल के रस का सेवन करते थे। तो क्या इसका मतलब उन्हें भूख नहीं लगती थी। इस प्रश्न का जवाब कई वैज्ञानिक अध्ययनों में मिलता है। एक अध्ययन के अनुसार अगर कोई व्यक्ति ब्रह्माण्ड की ऊर्जा से शरीर के लिए आवश्यक एनर्जी प्राप्त कर ले और उसे भूख ना लगे यह संभव है।
सिद्धी योग में जो शक्तियां हैं उसका वर्णन पुराणों में विस्तार से है। सिद्धी योग के चमत्कार भी पढऩे को मिल जाते हैं, लेकिन इस अद्भूत योग क्रिया का एक जीता जागता उदाहरण भारत में भी देखने को मिला। उत्तरप्रदेश के देवरिया में देवरहा बाबा नाम से एक योगी थे। माना जाता है कि देवरहा बाबा 250 साल तक जीवित रहे। सुनने में यह भी आता है कि बाबा 900 साल जिंदा रहे, कुछ लोगों का मानना है कि बाबा 500 साल तक जीवित रहे। बाबा पर लिखी कुछ किताबों और लेखों में दावा किया गया है कि बाबा ने जीवन भर अन्न नहीं खाया।